Saturday, November 30, 2013

चुनाव

 

चुनावी दंगल का फिर से हो गया आगाज ,
और एक नेता आए हमारे पास।
बोले, इस बार तुम मुझे वोट देना
और बदले में नौकरी का तोहफा लेना,
सत्ता में आए तो विकास की गंगा बहाएँगे ,
रोजगार दिला कर सबकी गरीबी मिटाएँगे ।
हम बोले -
5 साल पहले भी तो आप ही आए थे,
जनता को बहलाकर, झूठे सपने दिखलाकर,
हमसे वोट डलवाये थे ।
फिर सत्ता में आते ही आपने तो अपना रंग दिखा दिया,
गरीबी तो मिटी नहीं गरीबो को मिटा दिया ।
नौकरी तो दूर की बात, हमारा घर तक जला दिया,
विकास की गंगा तो छोड़ो, गंगा माँ को भी कलुषित बना दिया । ।
मुफ्त में चावल बटवा रहे हो ,
लोगो को भिखारी बना रहे हो ,
और बच्चो को लैपटाप बांटकर ,
हमे बुद्धू बना रहे हो । ।
इस बार झांसे में नहीं आएंगे,
वोट जो तुम्हें दिया तो पाँच साल फिर दुख पाएंगे ।
हाँ, वोट डालने जरूर जाएँगे,
पर गरीबो का मसीहा लाएँगे । ।
वोट उसे देंगे जो सही मायनों में विकास लाये ,
तुम्हारी तरह व्यर्थ के गाल न बजाए । ।   

                                                       - स्वरचित