Thursday, December 19, 2013

क्षणिकाये



बाबू (CLERK)

फाइलों के बोझ से लदा एक श्रमजीवी,
जिसे दफ्तर में साहब फटकारे
और घर में बीवी । ।


डॉक्टरनी

डॉक्टर साहब ने अपनी अनपढ़ पत्नी को
गाँव से शहर बुलवाया
और बिना किसी डिग्री के ही डॉक्टरनी
कहलवाया । ।


प्रेम

बचपन में मुफ्त मिलता है,
जवानी में कमाना पड़ता है,
बुढ़ापे में माँगना पड़ता है !! 




                                                          -अज्ञात

Monday, December 2, 2013

नेता


नेता भाषण देकर आया,
नौकर पर आकर गुराया ,
में आया हू थका थकाया,
पेर दबाओ राम लुभाया।
राम लुभाया बोला मालिक
एक जरूरी बात बता दू,
भाषण से तो गला थका है ,
आप कहे तो गला दबा दू । ।

                               -By  Popular Poet Shri Surendra Sharma